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Dainik Bhaskar 125 करोड़ में बिकी 'लक्ष्मी' से मेकर्स सिर्फ लागत निकाल पाए, लेकिन कम बजट वाली फिल्मों के लिए फायदे का सौदा OTT

ओवर दि टॉप यानी OTT प्लेटफॉर्म्स पर इस साल अब तक 45 से ज्यादा फिल्में रिलीज हो चुकी हैं। इनमें कुछ फिल्में सीधे इन्हीं प्लेटफॉर्म्स के लिए बनाई गई थीं तो कुछ ऐसी भी हैं, जिन्हें लॉकडाउन में जब सिनेमाघर बंद हुए तो मजबूरी में यहां ले जाना पड़ा। इस प्रोसेस में उन फिल्ममेकर्स ने तो फायदा उठा लिया, जिनकी फिल्मों का बजट 10 से 50 करोड़ रुपए के अंदर रहा। लेकिन 'लक्ष्मी' जैसी बड़े बजट की फिल्म के निर्माताओं को अपनी लागत निकालकर ही संतुष्ट होना पड़ा।

125 करोड़ रुपए में बिके 'लक्ष्मी' के डिजिटल राइट्स

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लक्ष्मी को OTT प्लेटफॉर्म के लिए करीब 125 करोड़ रुपए में बेचा गया था। इसके बावजूद फिल्म का सिर्फ लागत निकाल पाना हैरान करता है। फिल्म के बजट का खुलासा तो कहीं स्पष्ट रूप से नहीं हुआ। लेकिन, ट्रेड के गलियारों में यह चर्चा है कि इसके लिए अक्षय की फीस ही करीब 100 करोड़ रुपए (साइनिंग अमाउंट+प्रॉफिट शेयरिंग) थी। फिर दूसरे आर्टिस्ट्स और फिल्म की टीम की फीस। साथ ही मेकिंग में हुआ अन्य खर्च इसे और महंगा बना देता है।

ट्रेड एक्सपर्ट्स की मानें तो मेकर्स ने इस फिल्म से कोई मुनाफा नहीं उठाया है। अगर उन्हें प्रॉफिट हुआ भी होगा तो बेहद कम हुआ होगा। बॉक्स ऑफिस इंडिया की रिपोर्ट की मानें तो अगर यह फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होती तो घरेलू बॉक्स ऑफिस पर करीब 141 करोड़ का कलेक्शन आसानी से कर ले जाती।

कुछ प्रोड्यूसर्स के लिए ऐसे फायदे का सौदा

एवरेज, मीडियम और बड़े बजट के कुछ प्रोड्यूसर्स को अपनी फिल्म OTT पर रिलीज करने का एक फायदा यह भी है कि वे इसकी डील सीधे करते हैं। इसके लिए उन्हें किसी ट्रेडर या डिस्ट्रीब्यूटर के साथ कलेक्शन साझा नहीं करना पड़ा। साथ पब्लिसिटी पर होने वाला एक्स्ट्रा खर्चा बच जाता है।

जैसे अगर 'गुलाबो सिताबो' बॉक्स ऑफिस पर आती तो बॉक्स ऑफिस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह डोमेस्टिक बॉक्स ऑफिस पर 60 करोड़ रुपए भी नहीं कमा पाती। इसके अलावा, फिल्म के कलेक्शन में एग्जीबिटर्स का हिस्सा भी होता। साथ ही प्रमोशन पर करीब 10 करोड़ रुपए खर्च होने से इसका बजट बढ़कर करीब 55 करोड़ रुपए पहुंच जाता। इस हिसाब से रिलीज के बाद प्रोड्यूसर्स को बमुश्किल 30 करोड़ रुपए ही मिल पाते, जो फिल्म के बजट से भी कम है। हालांकि, यह फॉर्मूला सभी फिल्मों के लिए फिट नहीं बैठता।

अभी OTT पर महंगी बिक रहीं फिल्में

सिनेमा बंद होने की वजह से फिल्ममेकर्स को उनकी फिल्म सीधे OTT प्लेटफॉर्म्स पर दिखाने के लिए 30-40 फीसदी का प्रीमियम मिला है। जैसे, अगर किसी फिल्म के थिएटर में रिलीज होने के बाद उसके OTT राइट्स 20-25 करोड़ रुपए में बिकते तो वहीं, इसे सीधे OTT पर ले जाने पर राइट्स 30 से 35 करोड़ रुपए में बिके।

छोटे मेकर्स के लिए OTT वरदान सिर्फ इसलिए

ट्रेड एनालिस्ट और कम्पलीट सिनेमा मैगजीन के एडिटर अतुल मोहन के मुताबिक, OTT छोटी फिल्मों के लिए वरदान इसलिए है, क्योंकि उन्हें कम से कम अपना कंटेंट दिखाने का मौका मिल रहा है। उनकी कमाई बहुत ज्यादा नहीं होती है। इन फिल्मों के मेकर्स अपना कंटेंट बेचने के लिए धक्के खाते हैं और जब कोई राह नजर नहीं आती तो ट्रेडर्स को बेच देते हैं। ट्रेडर्स 2.50-3 करोड़ की फिल्म 25-30 लाख रुपए खरीदते हैं।

ऐसी 8-10 फिल्में 2.50-3 करोड़ में खरीदकर एक साथ अपने कनेक्शंस (OTT और सैटेलाइट चैनल्स) को 3- 3.50 करोड़ में बेच देते हैं। चूंकि, ये ट्रेडर्स रेगुलर सप्लायर होते हैं इसलिए इनसे किसी तरह की बारगेनिंग नहीं होती। दूसरी ओर बड़े मेकर्स डायरेक्ट डील करते हैं। इसलिए इनसे बजट के ऊपर जो भी मिलता है, वह उनका ही प्रॉफिट होता है।

बॉक्स ऑफिस से नहीं की जा सकती OTT की तुलना

अतुल मोहन कहते हैं, "OTT अलग दुनिया है। इसकी तुलना बॉक्स ऑफिस से नहीं की जा सकती। इससे टीवी चैनल्स को खतरा हो सकता है। मुझे लगता है कि हर कोई साल के 1000-2000 रुपए या महीने का 500-600 रुपए देकर इसका सब्सक्रिप्शन नहीं ले सकता है। लॉकडाउन में दुर्भाग्यवश सिनेमा हॉल्स बंद करने पड़े इसलिए ऑडियंस को मनोरंजन के लिए घर बैठे अपने लायक जो मिला, वह उन्होंने कंज्यूम कर लिया। एक बार जब सिनेमाघर और लाइफ रुटीन में आ जाएंगे, तब लोग इतने डेडिकेट होकर शायद OTT पर नहीं जाएंगे।"

बहुत छोटे फिल्ममेकर्स को OTT पर भी घाटा

अतुल मोहन बताते हैं कि कोई भी प्रोड्यूसर अपनी फिल्म नुकसान पर नहीं बेचना चाहता। जब तक कि उसकी कोई मजबूरी न हो। यहां मजबूरी का जिक्र उन छोटे फिल्ममेकर्स के लिए है, जिन्हें इंडस्ट्री के बारे में पता नहीं होता कि रिकवरी क्या और कैसे होती है? जिन्हें कुछ लोग उपेक्षित कर देते हैं।

बकौल अतुल मोहन, "ये ऐसे प्रोड्यूसर होते हैं, जिन्हें अपनी 3 करोड़ की फिल्म मजबूरी में 20-25 या 30 लाख में बेचनी पड़ती है। वहीं, बड़े प्रोड्यूसर्स स्मार्ट होते हैं क्योंकि उन्हें सब पता होता है। किसी भी बिजनेस में आप तब ही प्रॉफिट कमा सकते हो, जब आपको उस बिजनेस की समझ हो। नए-नए लोग हर फील्ड में आते हैं, लेकिन जिन्हें समझ नहीं होती उन्हें अपना बिजनेस बंद कर निकल जाना पड़ता है।"

'बमफाड़' इस साल की पहली OTT रिलीज

इस साल रंजन चंदेल के निर्देशन में बनी 'बमफाड़' OTT प्लेटफॉर्म पर आई पहली फिल्म थी, जिससे परेश रावल के बेटे आदित्य रावल ने डेब्यू किया। 10 अप्रैल को इस फिल्म का प्रीमियर जी-5 पर हुआ था। लेकिन OTT पर फिल्मों की रिलीज की चर्चा अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना स्टारर 'गुलाबो सिताबो' के प्रीमियर के साथ हुई, जो 12 जून को अमेजन प्राइम वीडियो पर आई।



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Box Office Vs OTT:Akshay Kumar's 'Lakshmi' only managed to extract cost from OTT, Low Budget Movies Are Gaining Profit


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